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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2721
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर

प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?

अथवा
व्यक्तित्व मापन में उपयोग की जाने वाली प्रक्षेपण विधियों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपण विधियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

व्यक्तित्व की माप से तात्पर्य व्यक्तित्व के शीलगुणों के बारे में पता लगाकर यह निश्चित करना होता है कि कहाँ तक वे संगठित या विसंगठित हैं। किसी भी व्यक्ति के भिन्न-भिन्न शीलगुण जब आपस में संगठित होते हैं, तो इससे व्यक्ति का व्यवहार सामान्य होता है। परन्तु यदि उसके शीलगुण विसंगठित होते हैं तो व्यक्ति का व्यवहार असामान्य हो जाता है। व्यक्तित्व मापन के सैद्धातिक तथा व्यवाहिक उद्देश्य हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्तित्व मापन से व्यक्तित्व के विकास तथा उसके स्वरूप से संबंधित बहुत से ज्ञान प्राप्त होते हैं, जिससे इस क्षेत्र में शोध करने तथा नए-नए सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने में मदद मिलती है। इस सैद्धान्तिक उद्देश्य के अलावा व्यक्तित्व मापन के कुछ व्यावहारिक उद्देश्य भी हैं। जैसे व्यक्ति मापन से यह पता चलता है कि व्यक्तित्व के किस किस शीलगुण की शक्ति कितनी है और किस शीलगुण की कमी से व्यक्ति को समायोजन करने में दिक्कत होती है। अतः व्यक्तित्व मापन करके व्यक्तियों के समायोजन की कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिलती है।

प्रक्षेपीय विधियाँ - प्रक्षेपीय विधि द्वारा व्यक्तित्व की माप परोक्ष रूप से होती है। इस परीक्षण में व्यक्ति के सामने कुछ अस्पष्ट तथा असंगठित उद्वीपक या परिस्थिति दिया जाता है। ऐसी उद्वीपकों एवं परिस्थितियों के प्रति व्यक्ति कुछ अनुक्रिया करता है। इन अनुक्रियाओं के सहारे व्यक्ति अचेतन रूप से अपनी इच्छाओं, त्रुटियों एवं मानसिक संघर्षों को प्रक्षेपित करता है। इस तरह के प्रक्षेपीय परीक्षण वैसे परीक्षण को कहा जाता है, जिसके एकांश स्पष्ट एवं असंगठित होते हैं और जिसके प्रति अनुक्रिया करके * व्यक्ति अपने भिन्न-भिन्न प्रकार के शीलगुणों की अभिव्यक्ति परोक्ष रूप से करता है।

लिण्डजे (Lindzey, 1961) की प्रक्षेपीय परीक्षण की निम्न विशेषताओं को स्पष्ट किया जा सकता है -

i. प्रक्षेपीय परीक्षण के एकांश होते हैं कि उनसे बहुत सारी अनुक्रियाएँ उत्पन्न हो पाती हैं।
ii. प्रक्षेपीय परीक्षण द्वारा व्यक्तित्व के कई पहुलओं का मापन संभव होता है।
iii. प्रक्षेपीय परीक्षण अचेतन व्यक्तित्व विमाओं को अधिक तेजी से उत्तेजित करते हैं।
iv. ऐसे परीक्षण में व्यक्ति अपने द्वारा किए गए अनुक्रियाओं का अर्थ नहीं समझता है।
v. ऐसी परीक्षण द्वारा अधिक मात्रा में जटिल मूल्यांकन आंकड़े उत्पन्न किए जाते हैं।
vi. ऐसे परीक्षण में तुलनात्मक रूप से अस्पष्ट उद्दीपकों का उपयोग किया जाता है।
vii. ऐसे परीक्षण द्वारा व्यक्तित्व का एक संगठित एवं सम्पूर्ण तस्वीर उपस्थित होता है।
viii. ऐसे परीक्षण व्यक्ति में स्पप्न चित्र उत्पन्न करने में सफल होते हैं।
ix. ऐसे परीक्षण में कोई सही या गलत अनुक्रिया नहीं होती है।

व्यक्तित्व मापन के लिए मनोवैज्ञानिकों ने कई तरह के प्रक्षेपीय परीक्षण का वर्णन किया है। मनोवैज्ञानिको ने प्रक्षेपीय विधि का वर्गीकरण परीक्षण में उपयोग किए गए उद्दीपक, परीक्षण को निर्मित करने तथा क्रियान्वयन करने का तरीका तथा उनसे उत्पन्न होने वाली अनुक्रियाओं के आधार पर भिन्न भिन्न ढंग से किया है। इसमें लिण्डजे (1961) ने जो वर्गीकरण अनुक्रिया की कसौटी के आधार पर की है, वह आज भी बहुत लोकप्रिय है। इनके अनुसार प्रक्षेपीय परीक्षण को निम्नांकित पाँच भागों में बाँटा गया है।

1. साध्यचर्य परीक्षण - ऐसे परीक्षण में व्यक्ति अस्पष्ट उद्दीपकों को देखता है और यह बतलाता है कि उसमें वह क्या देख रहा है या फिर उससे वह किस चीज को साहचर्यित कर रहा है। रोशार्क परीक्षण तथा शब्द साहचर्य परीक्षण इस श्रेणी के दो प्रमुख प्रकार हैं।

2. संचरना परीक्षण - इस श्रेणी में वैसे प्रक्षेपीय परीक्षणों को रखा जाता है। जिसमें परीक्षण उद्दीपकों के आधार पर शक्ति को एक कहानी या अन्य समान चीजों की संरचना करनी होती है। इस श्रेणी का सबसे प्रमुख परीक्षण विषय आत्मबोध परीक्षण है।

3. पूर्ति परीक्षण - इस श्रेणी के प्रक्षेपीय परीक्षण में व्यक्ति को उद्दीपक (प्राय: एक वाक्य) का एक हिस्सा दिखलाया जाता है और दूसरा हिस्सा खाली होता है। जिसकी पूर्ति व्यक्ति अपनी इच्छानुसार करता है। यहाँ पूर्वकल्पना यह होती है कि जिस तरह से व्यक्ति वाक्य को पूरा करेगा, उससे उसके व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण विमाओं का पता चलेगा। इस तरह के परीक्षण को 'वाक्य पूर्ति परीक्षण कहा जाता है।

4. चयन या क्रम परीक्षण - इस श्रेणी के परीक्षण में व्यक्ति परीक्षण उद्दीपकों को एक विशेष क्रम में सुव्यवस्थित करता है या अपनी पसंद या आकर्षकता या अन्य कोई विमा के आधार पर दिए गए परीक्षण उद्दीपकों में से कुछ को चुनना होता है। पूर्वकल्पना यह होती है कि व्यक्ति द्वारा चुने गए उद्दीपकों या उनके एक खास व्यवस्थित क्रम से उसके व्यक्तित्व के शीलगुणों को अंदाज होता है। जोन्डी परीक्षण (szondi test) जिसका निर्माण जोन्डी (1947) द्वारा किया गया था, इस श्रेणी का एक प्रमुख प्ररीक्षण है।

5. अभिव्यंजक परीक्षण - इस श्रेणी के प्रक्षेपीय परीक्षण में व्यक्ति को अपने आप को अभिव्यक्त करने का मौका दिया जाता है। प्रायः यह अभिव्यक्ति उसे एक तस्वीर का आरेखण करके करना होता है। किए गए आरेखण विश्लेषण के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व के शीलगुणों का अनुमान लगाया जाता है।। इस श्रेणी के मुख्य दो परीक्षण हैं ड्रा-ए-परसन परीक्षण तथा घर पेड-व्यक्ति परीक्षण।

प्रक्षेपीय परीक्षण, व्यक्तित्व को मापने की एक महत्वपूर्ण विधि है, फिर भी मनोवैज्ञानिकों ने इसकी आलोचना की है। आइजेन्क (1959) द्वारा प्रक्षेपण परीक्षण की प्रमुख आलोचनाएँ इस प्रकार की गयी हैं -

i. प्रक्षेपीय परीक्षण का आधार कोई अर्थपूर्ण तथा परीक्षणीय सिद्धान्त नहीं है। फलतः इसके द्वारा किए गए व्यक्तित्व मापन से कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकलता है।

ii. प्रक्षेपीय परीक्षणों का प्राप्तांक लेखन तथा व्याख्या काफी आत्मनिष्ठ है। यह आलोचना विशेषकर RT यानि रोशार्क परीक्षण तथा TAT के लिए और भी ज्यादा सही है। इसका परिणाम यह होता है कि एक ही व्यक्तित्व का मापन करके भिन्न-भिन्न लोग भिन्न-भिन्न तरह के निष्कर्ष पर पहुँचते हैं जो सर्वथा अर्थहीन ही होता है।

iii. प्रक्षेपीय परीक्षण की वैधता अधिक नहीं होती है। प्रायः इस परीक्षण की वैधता के आधार पर व्यक्ति का केस इतिहास आदि तैयार किया जाता है, जिसे मनोवैज्ञानिकों ने एक वैज्ञानिक कसौटी नहीं माना है। फलतः इन परीक्षणों की वैधता पर अधिक विश्वास नहीं किया जाता है।

iv. अधिकतर मनश्चिकित्सकों का एक ऐसा विश्वास है कि प्रक्षेपीय परीक्षण के सूचकों तथा शीलगुणों के बीच प्रत्याशित संबंध होने का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है।

इन आलोचनाओं के बावजूद भी प्रक्षेपीय परीक्षण का प्रयोग व्यक्तित्व मापन में काफी होता है और मनोचिकित्सक में तो इस परीक्षण को एक अभिन्न अंग माना गया है।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
  3. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
  4. प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
  5. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
  15. प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  16. प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  18. प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  21. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  22. प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
  23. प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
  24. प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
  25. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  26. उत्तरमाला
  27. प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
  28. प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
  29. प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
  30. प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
  31. प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
  32. प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
  33. प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
  34. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
  36. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
  38. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  39. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  40. प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
  41. प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
  44. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
  48. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
  49. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
  51. प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
  52. प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
  53. प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
  54. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  55. उत्तरमाला
  56. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
  58. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
  59. प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
  60. प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
  61. प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
  62. प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
  63. प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
  65. प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  66. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  67. उत्तरमाला
  68. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
  72. प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
  73. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  74. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  75. प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  76. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  78. उत्तरमाला
  79. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
  85. प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
  87. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
  88. प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
  89. प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
  90. प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
  91. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  92. उत्तरमाला
  93. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
  100. प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
  102. प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
  103. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  104. उत्तरमाला
  105. प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
  106. प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
  107. प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
  108. प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
  109. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  110. उत्तरमाला

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